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थायराइड के लक्षण और उपचार। गले मे थायराइड के लक्षण

T इस लेख में हम आपको बताएंगे कि थायराइड क्या होता है, थायराइड के लक्षण एवं उपचार क्या है, थायराइड कितने प्रकार का होता है, इसके क्या क्या कारण हैं, और इसका इलाज कैसे किया जाता है? आइए जानते हैं 

थायराइड के लक्षण और उपचार। गले मे थायराइड के लक्षण
Thyroid ke lakshan


थायराइड क्या है?

थायराइड एक तितली के आकार वाली एंडोक्राइन ग्रंथि (Gland) है, जो आपकी श्वासनली के दोनों तरफ गर्दन के मूल में स्थित होती है। थायरॉयड ग्रंथि का वजन लगभग 20 से 40 ग्राम होता है।

थायराइड ग्रंथि ट्राई-आयोडोथायरोनिन (T3) और थायरोक्सिन (T4) नामक हार्मोन्स बनाती है, जिसे हम थायराइड हार्मोन्स कहते हैं, यह हार्मोन्स आपके शरीर के चयापचय (Metabolism) को नियंत्रित करने के साथ - साथ और भी कई महत्वपूर्ण फंक्शन को नियंत्रित करते हैं।

थायराइड हार्मोन्स यानि T3 और T4 को बनाने में एक TSH नाम के हार्मोन की भी जरूरत होती है जो कि पिट्यूटरी ग्लैंड से निकलता है।

महिलाओं में थायरॉयड की समस्या पुरषों के मुक़ाबले अधिक पाई जाती है, महिलाओं में गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान इसका कार्य थोड़ा बढ़ जाता है।

थायराइड कितने प्रकार का होता है?

मुख्य रूप से थायराइड दो प्रकार का होता है, हाइपरथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म
जब यह थायराइड हार्मोन्स जरुरत से ज्यादा मात्रा में बनने लगते हैं तो इसे हम हाइपर थायरायडिज्म कहते हैं, और जब इनकी बनने की मात्रा जरुरत से कम होने लगती है तो इसे हम हाइपो थायरायडिज्म कहते हैं। इस लेख में हम आपको हाइपोथायरायडिज्म के बारे में बताएंगे।

हाइपोथायरायडिज्म क्या है?

हाइपोथायरायडिज्म में आपकी थायराइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन्स का उत्पादन नहीं कर पाती, जिसके परिणाम स्वरूप आपके शरीर में थायराइड हार्मोन की कमी होने लगती है, और मोटापा, जोड़ों में दर्द और दिल की बीमारियों जैसी कई गंभीर परेशानियां पैदा होने लगती हैं।

हाइपो थायरायडिज्म की समस्या महिलाओं में होने की संभावना अधिक होती है। यह समस्या बहुत ही कॉमन है, भारत में हर साल लगभग 1 करोड़ से भी अधिक हाइपो थायरायडिज्म के मामले सामने आते हैं।

हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण

हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं।

• थकान
• वजन बढ़ना
• कमजोरी
• सुस्ती
• ज़्यादा ठंड लगना
• कब्ज
• मांसपेशियों में कमजोरी
• शुष्क त्वचा
• सूजा हुआ चेहरा
• गला बैठना
• बालो का झड़ना
• दिल की दर का कम होना
• मांसपेशियों में दर्द
• जोड़ों में दर्द और सूजन
• अनियमित मासिक धर्म
• डिप्रेशन या मानसिक तनाव

यदि हाइपोथायरायडिज्म का इलाज नहीं किया जाए तो यह लक्षण धीरे-धीरे अधिक गंभीर हो सकते हैं।

हाइपोथायरायडिज्म के कारण

वैसे तो हाइपोथायरायडिज्म के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन उनमें से जो सबसे सामान्य कारण है वह निम्नलिखित हैं।

1. हाशिमोटो बीमारी (Hashimoto disease) :- हाशिमोटो एक ऐसी बीमारी है जिसमें आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) आपके थायरॉयड पर हमला करती है जिसके कारण आपका थायराइड क्षतिग्रस्त हो जाता है और पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन नहीं बना पाता, जिसके परिणाम स्वरूप हाइपो थायरायडिज्म की समस्या उत्पन्न होने लगती है। यह हाइपो थायरायडिज्म का सबसे बड़ा कारण है।

2. थायराइड की सर्जरी (Thyroidectomy) :- यदि थायराइड की सर्जरी करके थायराइड का कुछ हिस्सा निकाला गया हो तो यह आगे चलकर हाइपो थायरायडिज्म का रूप ले सकता है।

3. रेडियोएक्टिव आयोडीन और एंटी थायरॉइड दवाईयां :- अक्सर हाइपरथायरायडिज्म का इलाज करने के लिए रेडियोएक्टिव आयोडीन और एंटी थायरॉइड दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके कारण कुछ मामलों में हाइपो थायरायडिज्म हो सकता है।

4. दवाईयां (Medications) :- कई दवाएं हाइपो थायरायडिज्म में योगदान कर सकती हैं। ऐसी ही एक दवा है लिथियम, जिसका उपयोग कुछ मानसिक विकारों के इलाज के लिए किया जाता है। इसके अलावा कार्बिमाज़ोल, मेथीमाज़ोल, ऐमियोडैरोन जैसी दवाएं यदि आप ले रहे हैं, तो अपने थायरॉयड ग्रंथि पर इसके प्रभाव के बारे में अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें।

5. आयोडीन की कमी (iodine deficiency) :- थायरॉइड हार्मोन्स को बनाने के लिए आयोडीन की भी आवश्यकता होती है, और इसकी कमी से हाइपो थायरायडिज्म हो सकता है।

6. गर्भावस्था (Pregnancy) :- कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान या बाद में हाइपोथायरायडिज्म विकसित हो सकता है। जिससे गर्भपात (miscarriage), समय से पहले प्रसव (premature delivery) जैसे जोखिम बढ जाते हैं।

हाइपोथायरायडिज्म के कारण होने वाले नुकसान

यदि हाइपोथायरायडिज्म का इलाज ना किया जाए तो यह कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है:

• घेंगा रोग (Goiter) :- आमतौर पर आयोडीन की कमी या थायरॉयड ग्रंथि की सूजन के परिणामस्वरूप एक घेंगा रोग होता है, घेंगा रोग में आपके थायरॉयड ग्लैंड में असामान्य वृद्धि होने लगती है। अधिकतर मामलों में इसकी वजह से कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन किसी - किसी मरीज में इस रोग की वजह से निगलने में और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। 

• हृदय रोग (Heart disease) :- हाइपोथायरायडिज्म के मरीजों में हृदय रोग का भी खतरा बढ जाता है। हाइपो थायरायडिज्म की वजह से आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ सकता है और आपके दिल की पंपिंग क्षमता कम हो जाती है, जिसकी कारण दिल का दौरा पड़ने का जोखिम बढ जाता है।

• मानसिक रोग (Mental diseases) :- हाइपो थायरायडिज्म आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है, इसके कारण आप डिप्रेशन के शिकार जल्दी हो सकते हैं। यह आपके मानसिक तनाव का भी कारण बनता है।

• मयएक्सेडेमा (Myxedema):- मयएक्सेडेमा शब्द का उपयोग गंभीर रूप से उन्नत हाइपोथायरायडिज्म के लिए किया जा सकता है। इसके कारण आपके पुरे चहरे, जीभ, और होंठों पर सूजन दिखने लगती है।

इसके अलावा आपको सुस्ती, उनींदापन, और बेहोशी भी हो सकती है। यह एक आपातकालीन स्थिति होती इसमें मरीज़ कोमा में भी जा सकता है। यदि ऐसे लक्षण नजर आए तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इसकी मृत्यु दर 50 से 75% तक हो सकती है।

• बांझपन (Infertility) :- थायराइड हार्मोन की कमी के कारण महिलाओं को गर्भधारण करने में भी परेशानी होती है। हाइपो थायरायडिज्म अंडाशय में हस्तक्षेप कर सकता है, जो प्रजनन क्षमता को कम करता है।


हाइपोथायरायडिज्म की जांच

हाइपोथायरायडिज्म की जांच आपके लक्षणों और रक्त परीक्षणों के परिणामों पर आधारित होती है। थायराइड की जांच करने के लिए TFT यानि थायराइड फंक्शन टेस्ट किया जाता है, जिसके लिए आपका ब्लड संपल लिया जाता है। TFT टेस्ट में आपके रक्त में T3, T4 और TSH नामक हार्मोन्स के स्तर को मापा जाता है।

हाइपोथायरायडिज्म का इलाज

हाइपोथायरायडिज्म को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता।
हाइपो थायरायडिज्म का इलाज करने के लिए लेवोथायरोक्सिन (Levothyroxine) नामक दवाई का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि एक सिंथेटिक थायराइड हार्मोन है।

यह दवाई काफी प्रभावशाली तरीके से काम करती है, लेवोथायरोक्सिन दवा से आपके शरीर में थायरॉइड हार्मोन्स की कमी को पूरा किया जाता है, जिससे हाइपोथायराइड के लक्षण कुछ ही हफ्तों में काफी हद तक कम हो जाते हैं। 

हाइपोथायरायडिज्म के मरीज़ को लेवोथायरोक्सिन जीवन भर लेनी पड़ सकती है। आमतौर पर लेवोथायरोक्सिन की गोली सबुह नाश्ते से आधे घंटे पहले दिन में सिर्फ़ एक बार लेनी होती है। इस दवाई की खुराक आपके डॉक्टर के द्वारा TFT थायराइड फंक्शन टेस्ट के आधार पर निर्धारित की जाती है।

इलाज की शुरुआत में आपको हर दो से तीन महीनों के बाद थायरॉइड की जांच करवानी पड़ती है, जब तक कि आपके लिए लेवोथायरोक्सिन की सही खुराक निर्धारित नहीं हो जाती, एक बार सही खुराक निर्धारित होने पर फिर आपको सिर्फ साल में एक ही बार थायरॉइड की जांच करवानी पड़ती है।

इसके अलावा आप अपनी जीवनशैली को बदल कर हाइपो थायरायडिज्म के लक्षणों को कम कर सकते हैं, जिसमें नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, अच्छी नींद और तनाव मुक्त जीवन के लिए ध्यान जैसी चीजें कर सकते हैं।

हाइपो थायरायडिज्म के इलाज के लिए आप Endocrinologist यानि कि ग्रन्थि के डॉक्टर को दिखा सकते हैं। यदी आप अपने थायराइड के इलाज के साथ कोई और दवाई या सप्लीमेंट ले रहे हैं तो आप इसे अपने डॉक्टर को जरूर बताएं।

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