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हाइपर थायराइड के लक्षण और उपचार। हाइपर थायराइड के लक्षण

हाइपर थायराइड के लक्षण और उपचार। हाइपर थायराइड के लक्षण
Hyperthyroidism

हाइपर थायराइड क्या है ?(hyperthyroidism in hindi)

आपकी थायरॉइड ग्लैंड ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) और थायरोक्सिन (T4) नामक हार्मोन्स को बनाती है, जिसे थायरॉइड हार्मोन्स भी कहा जाता है। जब आपकी थायरॉयड ग्लैंड बहुत अधिक मात्रा में ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) और थायरोक्सिन (T4) हार्मोन का उत्पादन करने लगती है, तो इसे हम हाइपर थायराइड कहते हैं।

हाइपर थायराइड में आपका चयापचय (Metabolism) बढ जाता है, जिसके फलस्वरूप आपकी भूख बढ जाती है और वज़न कम होने लगता है, दिल की धड़कन तेज चलने लगती है। यह आपके पूरे शरीर को प्रभावित करता है। हाइपर थायराइड को ओवरएक्टिव थायराइड भी कहते हैं।

हाइपर थायराइड के लक्षण (Symptoms of hyperthyroidism in hindi)

हाइपर थायराइड में कई प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे कि:-

• वजन कम होना।
• भूख में वृद्धि होना।
• दिल की धड़कन तेज होना।
• घबराहट, चिड़चिड़ापन होना।
• अधिक पसीना आना।
• हाथों का कांपना।
• थकान और मांसपेशियों में कमजोरी का होना।
• त्वचा और बालों का पतला होना।
• बाल झड़ना।
• दस्त लगना।
• अनियमित मासिक धर्म।
• बाहर की तरफ उभरी आंखें।

इनमें से वजन का कम होना, भूख में वृद्धि, और दिल की धड़कन तेज होना, हाइपर थायराइड के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।

हाइपर थायराइड के कारण (Causes of hyperthyroidism in hindi)

हाइपर थायराइड के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

1. ग्रेव्स डिजीज (Graves’ disease) :- ग्रेव्स डिजीज हाइपर थायराइड का सबसे आम कारण है। यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, इस बीमारी में आपका इम्यून सिस्टम आपके थायराइड ग्लैंड पर हमला करता है, और आपका थायराइड ग्लैंड बहुत अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन को बनाने लग जाता है। जोकि हाइपर थायराइड का कारण बनता है। लगभग 80% मरीजों में हाइपर थायराइड का कारण ग्रेव्स डिजीज होती है।

यह रोग आमतौर पर 30 से 50 वर्ष की आयु के लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है। यह रोग पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होता है। यदि आपके परिवार में किसी को ग्रेव्स डिजीज है तो आपको यह बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है।

2. प्लमर रोग (Plummer disease) :- प्लमर रोग हाइपर थायराइड का दूसरा सबसे आम कारण है। जोकि लगभग 15% मरीजों में पाया जाता है। इसे toxic multinodular goiter भी कहा जाता है, यह रोग आमतौर पर वृद्ध लोगों में होता है।

3. थायरॉयड ग्रंथि की सूजन (Thyroiditis) :- कई बार अज्ञात कारणों से आपकी थायरॉयड ग्रंथि में सूजन हो सकती है। जिसके कारण आपके थायराइड हार्मोन्स का स्तर बढ़ जाता है। यह महिलाओं में गर्भावस्था के बाद भी हो सकता है।

4. अतिरिक्त आयोडीन (Excess iodine) :- आयोडीन की अधिक मात्रा के कारण भी हाइपर थायराइड हो सकता है, आयोडीन थायरॉइड हार्मोन्स का एक प्रमुख घटक है।

इसके अलावा हाइपर थायराइड के और भी कई कारण हो सकते हैं। जैसे कि:- टेस्ट्स और ओवरीज में ट्यूमर्स के कारण, थायरॉइड या पीयूष ग्रंथि में ट्यूमर्स के कारण।

हाइपर थायराइड के कारण होने वाले नुकसान (complications)

हाइपर थायराइड कई स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों को जन्म दे सकता है:

• हृदय की समस्याएं :- हाइपर थायराइड के मरीजों में हृदय की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं जिसमें हृदय गति तेज़ हो जाती है और कंजेस्टिव हार्ट फेलियर का जोखिम बढ जाता है।

• आँखों की समस्या :- ग्रेव्स ऑफ्थेलमोपथी के मरीजों में आँखों की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं जिसमें लाल उभरी हुई आंखें, आंखों में धुंधलापन और रोशनी का कम होने जैसी समस्याएं शामिल हैं।

• हड्डियों की समस्या :- हाइपर थायराइड के मरीजों की हड्डियां कमज़ोर होने लगती हैं जिसमें ओस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या उत्पन्न होने लगती है।

• थायरॉइड स्टॉर्म :- थायराइड स्टॉर्म एक जानलेवा स्वास्थ्य समस्या है, जो कि हाइपर थायराइड का इलाज़ ना होने पर होती है। थायरॉइड स्टॉर्म में आपके थायरॉइड हार्मोन्स का स्तर काफी बढ जाता है जिसके परिणाम स्वरूप शरीर का तापमान, रक्तचाप और हृदय गति खतरनाक रूप से उच्च स्तर तक बढ़ जाता है। अगर इसका तुरंत उपचार ना किया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। हालांकि थायरॉइड स्टॉर्म सभी मरिजों में नहीं होता यह काफी कम मामलों में होता है।

हाइपर थायराइड की जांच (diagnosis of hyperthyroidism)

हाइपर थायराइड की जांच आपके लक्षण और लैब टेस्ट के आधार पर की जाती है। जिसमें थायरॉइड फंक्शन टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और लिपिड प्रोफाइल टेस्ट जैसी जांचें की जाती हैं।

• थायरॉइड फंक्शन टेस्ट :- थायरॉइड फंक्शन टेस्ट में T3, T4 और TSH के स्तर को मापा जाता है। TSH हार्मोन आपकी पीयूष ग्रंथि में बनता है, जो कि आपके थायरॉइड हार्मोन्स को नियंत्रित करता है। हाइपर थायराइड में आपका TSH हार्मोन का स्तर कम हो जाता है और T4 और T3 हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है।

• अल्ट्रासाउंड :- आपके थायरॉयड ग्लैंड के आकार को देखने के लिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड का भी उपयोग कर सकते हैं।

• सीटी स्कैन :- आपकी पीयूष ग्रंथि को जांचने के लिए सीटी स्कैन का भी उपयोग किया जा सकता है। क्योंकि पीयूष ग्रंथि में ट्यूमर्स होने के कारण भी हाइपर थायराइड हो सकता है।

• लिपिड प्रोफाइल टेस्ट :- इस जांच से आपके कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर का पता लगाया जाता है, कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर में गिरावट हाइपर थायराइड का संकेत हो सकता है।

हाइपर थायराइड का इलाज़ (hyperthyroidism treatment in hindi)

हाइपर थायराइड के लिए कई उपचार मौजूद हैं। जिसमें थायराइड रोधी दवाएं, रेडियोएक्टिव आयोडीन, सर्जरी शामिल है। इनमें से सही उपचारिक विकल्प आपके डॉक्टर (Endocrinologist) के द्वारा आपकी बिमारी की गंभीरता के आधार पर चुना जाता है।

• थायराइड रोधी दवाएं (Medicine) :- हाइपर थायराइड के इलाज में Methimazole (मेथिमाज़ोल) जैसी थायराइड रोधी दवाइयों का उपयोग किया जाता है, जोकि आपके थायराइड हार्मोन को बनने से रोकती हैं और हाइपर थायराइड के लक्षण धीरे-धीरे 6 से 12 हफ़्तों में कम होने लगते हैं।
आपको यह दवाइयां अपने डॉक्टर के दिशानिर्देश अनुसार ही लेनी चाहिए। इनमें से कुछ दवाईयां आपके लिवर को गहरा नुक़सान पहुंचा सकती हैं।

• रेडियोएक्टिव आयोडीन (Radioactive iodine) :- हाइपर थायराइड के इलाज के लिए रेडियोएक्टिव आयोडीन का उपयोग किया जाता है, जिससे आपकी थायरॉइड ग्लैंड 70% तक सिकुड़ जाती है और हाइपर थायराइड के लक्षण कम हो जाते हैं। किसी-किसी मरीज में रेडियोएक्टिव आयोडीन से थायरॉइड ग्लैंड पूरी तरह से निष्क्रिय हो जाती है जिसके कारण हाइपोथायरॉइडिज्म हो जाता है। हालांकि हाइपोथायरॉइडिज्म को असानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

• सर्जरी (Surgery) :- सर्जरी की आवश्यकता बहुत ही कम मामलों में होती है, थायरॉइड की सर्जरी में आपके थायरॉइड ग्लैंड का कुछ हिस्सा काट कर निकाल दिया जाता है, जिससे थायरॉइड हार्मोन्स बहुत ही कम मात्रा में बन पाते हैं। थायरॉइड की सर्जरी में आपकी वोकल कॉर्ड (Vocal cord) ख़राब होने का जोख़िम होता है, हालांकि यह जोख़िम काफी कम होता है।

हाइपर थायराइड में परहेज़

• हाइपर थायराइड में आपको आयोडीन का सेवन कम करना चाहिए।
• सिगरेट और शराब के सेवन से आपकी परेशानी बढ सकती है।
• हाइपर थायराइड मल्टी विटामिन और खंसी की सीरप का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।

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